संघ के बारे में

मंगल भवन अमंगल हारी, द्रबहु सुदसरथ अजिर बिहारी ।

श्री हनुमते नमः

सुंदरकांड, रामायण का एक भाग है जिसमें हनुमान जी की वीरता का वर्णन है. ऐसा माना जाता है कि सुंदरकांड का पाठ करने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं और जीवन के कष्ट दूर होते हैं. सुंदरकांड का पाठ करने के लिए कुछ नियम हैं

सुंदर कांड तुलसीदास जी रचित श्रीरामचरितमानस का वह हिस्सा है जिसमें हनुमान जी की अपार महिमा बताई गई है. हिंदू धर्म में शुभ अवसर पर सुंदरकांड (Sundarkand) का पाठ किया जाता है. मान्यता है कि सुन्दर कांड का पाठ करने से मनुष्य के सब कष्ट दूर होते हैं तथा मनोकामना पूर्ण होती है. लेकिन सुंदर कांड का पाठ करने के धर्म-ज्‍योतिष में कुछ नियम जिनका पालन करने से बजरंगबली आपके सारे संकट को दूर कर देते हैं |

सुंदरकांड के पाठ करने से लाभ

सुंदरकांड का नित्यप्रति पाठ करना हर प्रकार से लाभदायक होता है. इसके अनंत लाभ हैं|

- अकारण किसी काम में आ रही अड़चन या परेशानी दूर हो जाती हैं|
- सुंदर कांड का पाठ करने या सुनने से मानसिक शक्ति में वृद्धि होती है|
- आत्म-विश्वास की कमी या इच्छा शक्ति में कमी दूर होती है|
- सुंदरकांड के मंगलाचरण का रोजाना पाठ करने से व्यापार और नौकरी में तरक्की होती है|
- जीवन में आ रही अत्यधिक परेशानियाँ कम हो जाती हैं|
- सुंदर कांड के साथ हनुमान चालीसा का पाठ करने से धन धान्य में बढ़ोतरी होती है|

सुंदरकांड पाठ करने के नियम:

सुंदरकांड का नित्यप्रति पाठ करना हर प्रकार से लाभदायक होता है. इसके अनंत लाभ हैं|

- सुंदरकांड का पाठ करने से पहले स्नान करके साफ़ कपड़े पहनें|
- हनुमान जी और श्रीराम जी की तस्वीर रखकर पूजा करें|
- गणेश जी, शिव जी, श्रीराम जी, और हनुमान जी का ध्यान करें|
- हनुमान जी को सिंदूर में चमेली का तेल मिलाकर तिलक लगाएं|
- पाठ शुरू करने से पहले श्री गणेश की पूजा करें|
- पाठ खत्म होने के बाद हनुमान जी और श्रीराम जी की आरती करें|
- पाठ में शामिल लोगों को आरती और प्रसाद दें|

सुंदरकांड पाठ पूजा सामाग्री :

-- द्रव , 25g लौंग
-- बड़ा फूल माला - २
-- फूल , तुलसी पत्ता
-- एक छोटा लोटा जल
-- धुप, दीपक
-- आरती के लिए थाली दीपक
-- फल, लड्डू, प्रशाद
-- दोना